…..तुम्हारा लहजा बता रहा है,तुम्हारी दौलत नई-नई है, भाजपा में इसौली के बदलते मिजाज

सुलतानपुर(विनोद पाठक)। भाजपा में इन दिनों इसौली के राजनीति के मिजाज कुछ बदले-बदले से हैं। ऐसे भी कई हैं कि अभी जुम्मा -जुम्मा आए ज्यादा दिन नहीं हुए, लेकिन रेस में आगे निकलने का ख्याब पाल रखे हैं। सपना पलना भी चाहिए,विकास के पंख भी लगे चाहिए।पर, इस क्षेत्र में इतने टेक्निकल-खरोच मारने वाले नेता हैं कि उनकी लत्ती से बच सके तब।इस पर शबाना अदीब के कई दशक पहले गजल-शायरी की मिश्रित कुछ चंद लाइने बरबस याद आ ही जाती हैं।”जो खानदानी रईस हैं, वो मिजाज रखते हैं नरम अपना,तुम्हारा लहजा बता रहा है,तुम्हारी दौलत नई-नई है। इस लाइन को एक सीनियर नेता गुनगुना रहे थे,उस पर ख़बरनबीस की नजर पड़ गई,सो सोचा कि कुछ….दिया जाए,जिस पर इसौली ही नहीं समूचे जनपद में चर्चा चले।
भाजपा में इसौली विधानसभा हमेशा सुर्खियों में रही। परिस्थितियों बदली, नए परसीमन में नई इसौली विधानसभा का गठन हुआ। नए गठन को करीब डेढ़ दशक बीत गए, तीन आम चुनाव हुए। पर, इसौली पर भाजपा का झंडा नहीं लहरा पाया। इसका दोषी कोई दूसरा नहीं,खुद इसौली के पार्टी के अधिकांश नेता हैं, जो भाजपा की जीत देखना नहीं पसंद करते। हमेशा खरोच मारने का कार्य करते हैं,इनकी संख्या अन्य विधानसभा क्षेत्र से यहां पर अधिक है,जो अपने-अपने फन के सभी माहिर हैं। वरना 2022 का चुनाव इसौली में भाजपा शानदार तरीके से जीतने जा रही थी,जीतते-जीतते भाजपा रह गई। खला सभी नेताओं को। अब वई कई नेता टिकट मांगने की दौड़ में आगे हैं,जिनके कारण पार्टी की किरकिरी हुई। हार की टीस अभी भी बीजेपी में है। इसौली में भाजपा का मिजाज बदलने की कोशिश की जा रही है,दुहाई दी जा रही है,कसमें खाई और खिलवाई जा रही हैं कि साथी साथ निभाना। इसके लिए करीब-करीब सभी क्षेत्र में डट गए हैं। कार्यक्रम की होड़ लग गई है,अलग-अलग तरीके से लुभावने आयोजन किए जा रहे हैं। कहीं कम तो कहीं ज्यादा आमद रफ्त हो रही है। आगे निकलने की हर कोशिश की जा रही है। पर,छुपता नहीं है। रहस्य खुल ही जाते हैं। कई महिला – पुरुष नए भी आ गए हैं,जो कईयों नेताओं की धडकनों को बढ़ा दिए। कुछेक जो बढ़ाए गए, वई अब नेताजी के लिए मुसीबत बन गए। पुराने नेताओं की चाल मध्यम में है। पर, कईयों की चाल तेज है। अपने तरीके से इसौली के बीच तगड़ी उपस्थिति दर्ज कराना चाहते हैं,करा भी रहे हैं। जिसकी चर्चा खुद इसौली के भाजपा नेता करते हैं। इस पर फिर शबाना अदीब की कुछ महत्वपूर्ण लाइने मन में फिर गुनगुनाने लगती हैं,जरा सा कुदरत ने क्या नवाजा,कि आके बैठे हो पहली सफ़ में,अभी से उड़ने लगे हो हवा में,अभी तो शोहरत नई-नई है। ऐसी ही कुछ राजनीत इसौली की चल रही है। फिलहाल इसौली में टिकट चाहने वाले नेता धार्मिक,सामाजिक आयोजनों के जरिए चर्चा में चल रहे हैं। कुछ नेता अभी अपने पत्ते नहीं खोल रहे हैं,गंभीर बने हुए हैं।
…फिर वहीं दिल लाया हूं,होगा चरितार्थ
इसौली में पार्टी की हर गतिविधि पर सीता शोक विनाशक की पैनी नजर है। गदा लेकर खड़े नहीं हैं,बल्कि क्षेत्र की तगड़ी निगरानी कर रहे हैं। अपने रणकौशल का लोहा दो बार मनवा चुके हैं,आगे भी नवाने की क्षमता रखे हैं,बोलते कम हैं। पर,समय पर वार तगड़ा करते हैं,जिसमें कई घायल भी हुए हैं,लेकिन अभी भी हिम्मत बांधे हैं कि अबकी लय गिरब। गदाधारी हनुमान बड़े भरोसे के साथ रघुवर को सुमिरन कर बयां करते हैं कि गदा के प्रहार से ….का विनाश होगा,फिर वहीं दिल लाया हूं,की कहावत चरितार्थ होगी,देखिएगा,क्योंकि गुरु जी के बगल संजय में ही आनंद दिख रहा है, यही नाम अन्य नेताओं के माथे पर पसीना चटका देता है।