कोविड – 19 के खिलाफ हर लड़ाई में जनसत्ता दल ( लोकतांत्रिक ) का भारत सरकार – उत्तर प्रदेश सरकार को समर्थन
कोविड – 19 के खिलाफ हर लड़ाई में जनसत्ता दल ( लोकतांत्रिक ) का भारत सरकार – उत्तर प्रदेश सरकार को समर्थन
रिपोर्ट/रायबरेली शिव शंकर मिश्रा की
जिला मुख्यालय : कोरोना वायरस के चलते जिस वैश्विक महामारी का हमारा देश और समाज सामना कर रहा हैं , उससे बचाव व रोकथाम के लिए राजनीतिक हानि – लाभ और मतभेद को दरकिनार करके जनसत्ता दल ( लोकतांत्रिक ) ने भारत सरकार – उत्तर प्रदेश सरकार को समर्थन देने का निर्णय लिया हैं. आज जब देश – समाज अस्तित्व के संकट से जूझ रहा हैं तब एैसी विकट स्थितियों में जनसत्ता दल ( लोकतांत्रिक ) के सभी कार्यकर्ता – पदाधिकारी कंधे से कंधा मिलाकर राष्ट्रीय अध्यक्ष रघुराज प्रताप सिंह ‘ राजा भईया ‘ के कुशल नेतृत्व में केन्द्र – राज्य सरकार को सहयोग देने के लिए प्रतिबद्ध हैं.यह विचार सदस्य ,केंद्रीय कोर कमेटी , जनसत्ता दल (लोकतांत्रिक) : हर्षेन्द्र सिंह ने उन तीन पत्रों को इस संवाददाता को सौंपते हुए व्यक्त किया जिसके जरिये दल के द्वारा समर्थन देने का निर्णय लिया गया हैं. भारत सरकार के प्रधानमंत्री / गृह मंत्री और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री को यह समर्थन पत्र जनसत्ता दल (लोकतांत्रिक) के राष्ट्रीय अध्यक्ष रघुराज प्रताप सिंह ' राजा भईया ' के निर्देश पर विधायक एवं उत्तर प्रदेश के प्रभारी विनोद सरोज ने लिखा हैं .पत्र के अनुसार लाकडाउन के प्रथम दिवस से ही दल के कार्यकर्ता - पदाधिकारी उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों में भोजन , राशन , रोजमर्रा के उपयोग की वस्तुएं और महामारी से बचाव करने वाले मास्क , सैनेटाइजर आदि जन - सामान्य को उपलब्ध करवा रहे हैं. स्वयं राजा भईया लगातार राज्य के लोगों को एक जगह एकत्र न होने और बेहद आपात स्थितियों में ही घर से बाहर के लिए प्रेरित कर रहे हैं. विनोद सरोज , राज्य प्रभारी ने लिखित रुप से भारत सरकार - उत्तर प्रदेश सरकार को यह आश्वासन दिया हैं कि जब भी केन्द्र - राज्य सरकार को मानव संसाधन की आवश्यकता पड़ेगी तो जनसत्ता दल (लोकतांत्रिक) का एक - एक कार्यकर्ता अपने देश और समाज को बचाने के लिए इस वैश्विक आपदा ' कोविड -19 ' से बचाव - रोकथाम के कार्यक्रमों में सरकार के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने के लिए समर्पित हैं. विधायक विनोद सरोज के लोकहित के प्रति प्रतिबद्धता जाहिर करने वाले केन्द्र - राज्य सरकार को लिखे गए इन तीनों पत्रों की खूब चर्चा हो रही हैं.