जौनपुर : अवैध कार्यों के लिए मशहूर होने लगी मुंगरा पुलिस

 

मुंगराबादशाहपुर/जौनपुर(सूरज विश्वकर्मा)। स्थानीय थाने की बिगड़ी हुई कानून व्यवस्था की हालात पर दृष्टिगत किया जाए तो पुलिस रक्षक के बजाय भक्षक के रूप में काम कर रही है। धन लिप्सा के चलते थाने में इंसाफ के तराजू की सूई हमेशा पैसे की तरफ झुकी हुई है। कारण है कि  न्याय के पलड़े पर पैसा वाला पलड़ा भारी पड़ जाता है। तो पीड़ित को न्याय कैसे मिले। यह सवाल पीड़ितों को कुरेद रहा है। बताते चले कि जब से नवागत थानेदार ने थाने की बागडोर संभाली है तब से पुलिस बैड वर्क के लिए ख्याति अर्जित करने में सुर्खियों में पहुंच गई है। यह बढ़त विराम के बजाय आगे की तरफ अग्रसर है। सूत्रों को माने तो पुलिस संरक्षण में ही सारे अपराधिक कृत्य व गैर कानूनी धंधा जोरों से फल फूल रहा है। जो चोर चोर मौसेरे भाई की कहावत को चरितार्थ कर दिया है नियमों के अनुपालन का आलम यह है कि थाना प्रभारी सत्य प्रकाश सिंह ने बताया है कि नोइंट्री सुबह आठ बजे से रात आठ बजे तक के लिए लिए लगाई गई है। जिसमें इस दौरान कस्बे के अंदर बड़े माल वाहनों का प्रवेश वर्जित है। तो रविवार को नो इंट्री के दौरान कस्बे के अंदर बड़े वाहन कैसे प्रवेश कर लिया। यह तो पुलिस ही बता सकती है। यह जग जाहिर है कि जब पुलिस बड़े दुकान दारों से महिनवारी वसूलेगी तो नो इंट्री के समय बड़े माल वाहनों का कस्बे के अंदर आना जाना लाजिमी है। न्यायालय का उलंघन करने, जमीन पर अवैध ढंग कब्जा कराने,दो पक्षों में मारपीट कराने में महारथ हासिल करने वाली मुंगरा की हौसला बुलंद पुलिस की दिलचस्प कहानी की तरफ एक नजर डालें तो पता चलेगा कि गांव समसपुर में बीते दिनों ग्रामीणों के मुताबिक हल्का से संबंधित एक एस आई ने एक पंचायत में सुलह सपाटा के बजाय अपने स्वार्थ लिप्सा का काम किया है। जिसका परिणाम रहा कि दूसरे दिन दोनों पक्षों में जबरदस्त मार पीट हो गई। वहीं अभी हाल में मुंगराबादशाहपुर में स्थित सरकारी अस्पताल के सामने पुलिस ने बड़े ही नाटकीय ढंग से दिन दहाड़े विपक्षी को कब्जा दिलाने में कामयाब रही। जबकि न्यायालय में वाद विचाराधीन है। पीड़ित का आरोप है कि थाने में जब हम अपने परिजनों के साथ फरियाद लेकर गए तो फरियाद सुनने के बजाय थानेदार हमारा चालान तथा हमारे बहनों को डांट कर भगा दिया। जबकि खतौनी में  नंदकुमार व शिवकुमार तथा अन्य पीड़ितों का नाम अंकित है। मुंगरा पुलिस कार्यशैली की अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि एक दैनिक समाचार पत्र के वरिष्ठ पत्रकार बृजेश कुमार पाण्डेय को भी बिना किसी आधार के शांति भंग की नोटिस थाने से भेजवा दिया गया है। जिसकी मीडिया से लेकर राजनीति व गैर राजनीतिक संगठनों ने कटु निंदा करने के साथ ही जांच कराने की मांग की है। फिर हाल सारे प्रकरण की निष्पक्ष जांच कराने के बाद ही असलियत का पता चल सकता है।