नदी और आबादी से दूर रहेंगी डेयरी व गोशालाएं
बस्ती(रुबल कमलापुरी)। जिले में दो दर्जन से अधिक गोशालाएं संचालित हैं। दो को छोड़कर बाकी सभी गोशाला नदी और आवासीय क्षेत्रों से दूर हैं। बस्ती में सबसे पुरानी और बड़ी गोशाला कठार जंगल में है। रही बात डेयरी की तो यह आवासीय क्षेत्रों में ही संचालित हो रही हैं। कठार जंगल गोशाला में 200 से अधिक गोवंश का संरक्षण हो रहा है। इसकी स्थापना 1916 में संत परमहंस विशेषर दास ने पांच लोगों के साथ मिलकर इसकी शुरुआत की थी। यह गोशाला आबादी से दूर घने जंगल के बीच में है। वर्तमान में गोशाला के संचालक पं. काशी राम मिश्र हैं। बताया कि प्राचीन गोशालाओं और आज की डेयरी में बड़ा अंतर है। गोशाला पशु सेवा के लिए स्थापित है तो डेयरी कमाई का साधन है। नदियों व आबादी के किनारे इसे स्थापित न करने का प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का फैसला उपयोगी साबित होगा। मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डा. अश्वनी त्रिपाठी ने बताया पशुओं के अपशिष्ट पदार्थ से जल तथा वायु प्रदूषण फैलने की पूरी संभावना रहती है। इसलिए इसे आबादी और नदियों के किनारे स्थापित न किया जाना पर्यावरण के लिए हितकारी साबित होगा।