संवाददाता : एसपी पांडेय
मुंबई : आज शिक्षकों के दर्द,परेशानी, मानसिक कष्ट को सुनने वाला कोई नहीं है। कोविड 19 की ड्यूटी में लगे कुछ शिक्षकों से हुई बातचीत के आधार पर उनके अनुभवों को आप सभी से शेयर करना चाहता हूँ कि शायद इन्हें दूर करने की कोई किरण दिखाई दे सके या आप सब ही कोई उचित समाधान बता सके । आप सभी को पता है कि जब कोई सेना युद्ध के लिए निकलती है तो उसके खाने,पीने, रहने व अन्य जरूरतों को पूरा करने के लिए कई प्रकार की टीम उन जवानों की सहायता करती है कि वे जवान सिर्फ युद्ध की ओर ध्यान दे सके। यहाँ शिक्षकों से कह दिया गया कि आपको डयूटी करनी है, लेकिन किसी ने यह पूछा कि आप कहाँ रहते है? आज मुंबई में शिक्षक विरार, नालासोपारा, वसई, पालघर,डहाणू, कर्जत,कसारा, टिटवाला, बदलापुर, कल्याण से अध्यापन कार्य करने आते है। आज लाकडाउन की विकट परिस्थितियों में वे 50 से लेकर 120 किमी की दूरी कैसे तय कर पाएंगे। बेस्ट की बसें जो कल्याण या विरार से मुंबई तक कर्मचारियों को ला रही है, उन बसों में शिक्षकों को चढ़ने नहीं दिया जा रहा है। बेस्ट वाले कहते है कि आप 25/30 शिक्षकों का ग्रुप बनाकर लाओ। अब शिक्षक ड्यूटी करे या ग्रुप बनाये। अगर किसी भाग्यशाली को बसवाले ने बैठा भी लिया तो 2 से 3 घंटे की यात्रा में बेचारा शिक्षक थक जाता है। वो फिर सोचने लगता है कि वापसी कैसे हो पाएगी । यह आपदा सभी आपदाओं से बहुत बड़ी है। इसे दूर करने की लड़ाई में शिक्षक हमेशा तैयार है। आप शिक्षकों से काम लीजिए लेकिन उनके आवागमन की कोई उचित व्यवस्था तो करिये या मुंबई में ही निवास की उचित व्यवस्था करिये। बिना सही नियोजन हम मुंबई को कोरोना मुक्त कैसे कर पाएंगे?