श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर -मंगला आरती के लिए 500 रुपये, अन्य के लिए 300 रुपये देने होंगे
वाराणसी।श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर में अब बाबा की मंगला आरती के लिए 350 की जगह 500 रुपये का टिकट लेना होगा। सप्तऋषि, मध्याह्न व शृंगार-भोग आरती के लिए 180 के बजाय 300 रुपये खर्च करने होंगे। श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर न्यास परिषद की बुधवार को हुई 104वीं बैठक में टिकट दरों में बढ़ोतरी का प्रस्ताव पारित किया गया। तय किया गया कि बढी दर पहली मार्च से लागू होगी।
इसके अलावा श्रीकाशी विश्वनाथ धाम तक जाने में दर्शनार्थियों की दिक्कतों को देखते हुए मैदागिन और गोदौलिया से ई-रिक्शा चलाने का निर्णय लिया गया। तय किया गया कि मंदिर प्रशासन इसके लिए पहल करेगा। फिजिबिलिटी चेक कराने के साथ नगर निगम व यातायात विभाग से इसमें सहयोग लिया जाएगा।बोर्ड ने श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर में वर्षपर्यंत धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन के लिए कैलेंडर तैयार करने का निर्णय लिया। इसके लिए पहले से ही कमेटी गठित है। एक आंतरिक समिति का गठन कर ट्रस्ट की डायरी मार्च में छपवाने पर सहमति बनी।
मंदिर न्यास की ओर से काशी हिंदू विश्वविद्यालय व संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के स्नातक एवं स्नातकोत्तर के समस्त पाठ्यक्रम में सर्वोच्च अंक प्राप्त करने वाले छात्र-छात्राओं को 10,000 रुपये की एकमुश्त वार्षिक छात्रवृत्ति दिए जाने का निर्णय लिया गया।
अर्चकों के लिए ड्रेस कोड, कर्मचारियों का महंगाई भत्ता बढ़ा
सफाई कर्मियों समेत अन्य कार्मिकों का महंगाई भत्ता बढ़ाने पर सहमति बनी। साथ ही सेवा नियमावली को अंतिम रूप देने के लिए गठित समिति को एक माह का समय दिया गया। एकरूपता लाने के लिए पुजारियों, अर्चकों के लिए ड्रेस कोड निर्धारित कर दो सेट ड्रेस देने का निर्णय लिया गया। बोर्ड द्वारा केनरा बैंक से सीएसआर से प्राप्त फंड से मंदिर चौक पर प्री-फैब्रिकेटेड कवरिंग शेड लगाए जाने का अनुमोदन किया गया।मुख्य कार्यपालक अधिकारी सुनील कुमार वर्मा ने बताया कि वर्ष 2022-23 के लिए 105 करोड़ आय और 40 करोड़ के खर्च का लक्ष्य रखा गया है। न्यास अध्यक्ष प्रो. नागेंद्र पांडेय ने मंडलायुक्त कौशल राज शर्मा को सम्मानित किया। न्यास सदस्य प्रो. ब्रजभूषण ओझा ने धन्यवाद ज्ञापन किया। जिलाधिकारी एस राजलिंगम, संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. हरेराम त्रिपाठी, ट्रस्टी प्रो. चंद्रमौलि उपाध्याय, पं. दीपक प्रसाद मालवीय, पं. प्रसाद दीक्षित, वेंकट रमन आदि मौजूद थे।