यूपी बोर्ड प्रयोगात्मक परीक्षा में असमंजस की स्थिति: उमेश द्विवेदी एमएलसी
कहीं मजाक न बन जाए प्रेक्टिकल परीक्षा: शिक्षक विधायक,
परीक्षा केंद्र पर आंतरिक मूल्यांकन कैसे करेंगे दूसरे विद्यालय के गुरुजी,
अपने ही फरमानों में फंसे बोर्ड के अधिकारी,सचिव,
शिक्षक विधायक उमेश द्विवेदी ने मुख्यमंत्री को लिखा पत्र,
निर्वाण टाइम्स
सोनभद्र (उमाकांत मिश्र)।यूपी बोर्ड की इंटर मीडिएट की प्रयोगात्मक परीक्षा कराने का आदेश अधिकारियों ने आपाधापी में वाहवाही लूटने के चक्कर मे दे दिए पर वास्तविकता का ध्यान ही नही रखा गया,उक्त शिकायती पत्र शिक्षक विधायक/ माध्यमिक शिक्षक महासभा के प्रदेश अध्यक्ष उमेश द्विवेदी ने माध्यमिक शिक्षा मंत्री,एवम् मुख्यमंत्री को प्रेषित कर अधिकारियो के कारनामों को उजागिर किया है। श्री द्विवेदी ने लिखा है कि
18 अप्रैल के पत्र को 19 अप्रैल को जारी करके 20 अप्रैल से 27 अप्रैल तक प्रथम चरण की परीक्षा कराने का फरमान सचिव ने जारी कर दिया,जबकि 23 अप्रैल से ही बोर्ड की कांपियों का मूल्यांकन है,और यही परीक्षक मूल्यांकन में भी लगाये जायेंगे।यह भी नही विचार किया कि रातोंरात परीक्षकों व विद्यार्थियों को सूचना कैसे होगी व संसाधन कैसे जुटेंगे, जबकि विगत कई वर्षों से कोरोना के कारण प्रयोगशालाएं बन्द रही हैं।मूल विद्यालय में छात्र संख्या कम होती है जबकि परीक्षा केंद्रों पर सैकड़ो छात्र होंगे ऐसे में इन परीक्षाओं का खर्च कौन वहन करेगा यह भी नही बताया गया।
इस बार प्रयोगात्मक परीक्षा भी लिखित परीक्षा वाले केंद्रों पर ही करने के निर्देश दिए गए,जो मूल विद्यालयों से काफी दूरी पर हैं।
इसमें यह भी ध्यान नही रखा गया कि आवंटित केंद्रों की उक्त विषयों की मान्यता है कि नही इस सम्बंध में पूरे प्रदेश के हजारों विद्यालय अपनी आपत्ति जिला विद्यालय निरीक्षकों को दर्ज करवा चुके हैं।न ही उनके यहां मान्यता है,न ही संसाधन वी प्रयोगशाला।जब बाहर से राजपत्रित अधिकारी पर्यवेक्षक के रूप में तैनात है फिर मूल विद्यालयों में ही कैमरे की निगरानी में परीक्षा कराने में क्या परेशानी थी?
पहली बार प्रयोगात्मक परीक्षा में केवल राजकीय व सहायता प्राप्त शिक्षकों को ही परीक्षक बनाने का आदेश दिया गया था,शिक्षा व्यवस्था में 80 प्रतिशत सहयोग करने वाले वित्तविहीन शिक्षकों को बाहर कर दिया गया।जो नैशरगिक न्याय के विरुद्ध है और एक वर्ग विशेष को अपमानित करने वाला है।ऐसे में एडेड व राजकीय के लगभग सभी शिक्षकों व प्रधानाचार्यो को परीक्षक बना दिया गया जो 20 से 27 तक परीक्षा कराएंगे, मानक के अनुसार एक दिन में 60 से 70 विद्यार्थियों की परीक्षा सम्भव होगी ।ऐसे में केंद्र पर आवंटित 400 से 1000 परीक्षार्थी कितने दिन में परीक्षा दे पाएंगे यह भी विचार नहीं किया गया।
हालांकि काफी दबाव के बाद वित्त विहीन शिक्षकों को न शामिल करने का आदेश वापस ले लिया गया, परन्तु अभी तक जारी परीक्षक सूची में केवल नाममात्र दिखावे के लिए एकाध शिक्षक ही वित्त विहीन शामिल किए गए हैं।
पुर्व से निर्देश है कि प्रेक्टिकल के 15 अंक मूल विद्यालय आंतरिक मूल्यांकन से देगा और 15 अंक बाह्य परीक्षक। ऐसे में दोनों विद्यालयों और बाह्य परीक्षक के बीच सामंजस्य कैसे बनेगा यदि एक ही दिन दोनों जगह एक ही परीक्षा समयाभाव में लग गई।
बोर्ड सचिव पहले भी ऐसे अनावश्यक आदेश देने के लिए जाने जाते रहे हैं, जैसे अभी संम्पन हुई बोर्ड परीक्षा के बीच में केंद्र व्यवस्थापक का बदलना। मजे की बात तो यह रही कि जो पूर्व के केंद्र व्यवस्थापक कई दिन बोर्ड परीक्षा का कार्य कर चुके थे उनका पूरा मानदेय सहायक केंद्र व्यवस्थापक को कर दिया गया।
पिछले वर्ष बोर्ड परीक्षा में परीक्षार्थियों के मार्क सीट पर xxx लिखी लाखों मार्कशीटें बोर्ड द्वारा जारी कर दी गई । जिस पर अभी तक निर्णय नही हो सका। मामला कोर्ट चला गया।
श्री द्विवेदी ने कहा कि यह तो एक बानगी मात्र है इस के अतिरिक्त भी कई अव्यवहारिक निर्णय बोर्ड द्वारा लगातार लिए जा रहे हैं जिससे सरकार की किरकिरी हो रही है।
शिक्षक विधायक श्री द्विवेदी ने मुख्यमंत्री से
निवेदन किया है कि इन विषयों का संज्ञान लेकर त्वरित कार्यवाही की जाय जिससे शिक्षा,शिक्षक,शिक्षार्थी का हित बाधित न हो और आम जनमानस को हो रही कठिनाइयों से मुक्ति मिल सके।सरकार की छवि धूमिल करने वाले अधिकारियों के विरुद्ध कार्यवाही शुरू की जाए।
मध्यमिक शिक्षक महासभा सोनभद्र जिलाध्यक्ष उमाकांत शुक्ल ने कहा कि हमारे प्रदेश अध्यक्ष ने अधिकारियो के मनमाने तरीके से कार्य करने की शिकायत न्याय संगत तरीके से की है, हम सभी श्री द्विवेदी जी के साथ है।