जब दुधवा के जीव विज्ञानी ने देखा सांप और नेवले के बीच हुआ रोमांचक संघर्ष
निर्वाण टाइम्स ब्यूरो
लखीमपुर खीरी।सांप और नेवले के बीच की रोमांचक लड़ाई और लुकाछिपी के तमाम किस्से आपने सुन रखे होंगे।कम ही लोग ऐसे होंगे जिन्हें प्रत्यक्ष रूप से इसे देखने का मौका मिला होगा।दुधवा टाइगर रिजर्व के जीव विज्ञानी रमेश कुमार भी इन्हीं चंद लोगों में से एक हैं।चूंकि वह लेखक और रचनाकार भी हैं इसलिए उन्होंने और भी अच्छे तरीक़े से साहित्यिक भाषा में इस आँखों देखे संघर्ष को निर्वाण टाइम्स से साझा किया है।यहाँ प्रस्तुत है सांप और नेवले के बीच हुए संघर्ष की कहानी,उन्हीं की जुबानी –
“जब कोई फिल्म और नाटकों में दिखाई गई कहानी प्रत्यक्ष रुप से आपके सामने घटित हो जाए तो उसका रोमांच अलग ही होता है। अभी तक हमने भी सांप और नेवले के बीच संघर्ष को सिर्फ फिल्मों में देखा था।अब यह वाकया मैंने अपनी प्रत्यक्ष आंखों से देखा।मैं नित्य प्रतिदिन की तरह अपने कार्यालय से मोटर साइकिल से लौट रहा था।रास्ते में फोन आ गया।मैने गाड़ी सड़क के किनारे खड़ी कर फोन रिसीव किया।मैं बात कर ही रहा था कि सड़क के एक किनारे से दूसरे किनारे की तरफ मेरे सामने से एक नेवला गुजरा।मैंने यह सामान्य गतिविधि समझ कर उसे अनदेखा कर दिया परंतु नेवला सड़क का दूसरा शिरा समाप्त होने के बमुश्किल एक दो इंच पहले ही ठिठक गया।नेवले के वहाँ मेरी उपस्थिति के बावजूद निडर भाव से इस प्रकार ठिठकने के कारण मैं भी सोंचने पर विवश हो गया।अब मेरी नजरें फोन के साथ-साथ नेवले की तरफ भी एकाग्र हो गई।नेवला अभी शांत था।उसने मेरी तरफ मुड़कर प्रारंभ में ही एक दो बार देखा था।अब तो वह बस सामने टकटकी लगाए देख रहा था।शायद वह मेरी तरफ से निश्चिन्त हो गया था कि मुझसे उसे कोई खतरा नहीं है।मेरी बात अभी भी चल रही थी।नेवला अपने कदम पीछे खींचने लगा। मुझे लगा कि शायद उसने अब वापस जाने का मन बना लिया है। बस इसी बात ने मुझे क्षण भर के लिए निश्चिन्त कर दिया।बस यही वह समय था जब नेवले ने एकदम से जोरदार आक्रमण किया था।शांत वातावरण में हल्की सी आहट ने हमें एक बार फिर उधर देखने पर विवश किया था।नेवला बहुत तेजी से इधर से उधर गर्दन घुमाए जा रहा था। उसके मुंह में कुछ दबा हुआ था। मैं आश्चर्यचकित था कि यह रस्सी जैसा क्या हो सकता है? इससे पहले कि मैं कुछ समझ पाता, मुंह में उसे दबाए नेवला घास से निकल कर उधर ही आने लगा जिधर से गया था।उसके मुंह में दबा हुआ था खतरनाक बैन्डेड क्रैट सर्प। स्पष्ट दिखाई देने लगा था वह।वह अब घास से निकल कर उसी किनारे पर रुक गया था। सर्प छूटने के लिए जबरदस्त संघर्ष कर रहा था परंतु नेवले ने जबरदस्त अचूक वार किया था। उसने गर्दन या शरीर के अन्य हिस्से को पकड़ने के बजाय सीधे मुंह पकड़ रखा था। सर्प का मुंह अब दिखाई नहीं दे रहा था। मुझे अभी भी यकीन नहीं हो रहा था कि सच में ऐसा हो सकता है परन्तु ऐसा हुआ था। मैं उसका प्रत्यक्षदर्शी था। नेवला सर्प का सिर निगल चुका था।एक ऐसे जंतु का जो सबसे बड़े इंसान को भी डराकर रखता है। इससे एक बात यह भी सिद्ध हुई कि कोई कितना भी खतरनाक क्यों न हो परंतु हर किसी के ऊपर कोई न कोई विद्यमान है, जिसका अस्तित्व उससे अधिक है, ताकतवर है।सांप के धड़ में अभी भी हरकत हो रही थी, जो धीमे-धीमे कुंद हो रही थी। अफसोस कि मेरे पास कैमरा नहीं था। मोबाइल से उतना अच्छा फोटो नहीं आ सका, पर समझने के लिए यह काफी है जो आप सबसे साझा कर रहा हूँ।
वर्तमान समय वह गर्मी व उमस का समय है, जब सर्प सबसे अधिक बाहर रहते हैं।विशेषकर अंधेरे वाले स्थानों पर।इसलिए रात्रि में अधिक सावधान रहने की आवश्यकता है।रोशनी का प्रयोग करना चाहिए, जब भी बाहर निकलें।रात्रि में यदि भ्रमण करना है तो जूते अवश्य पहनना चाहिए। रात्रि में नंगे पैर कदापि न चलें। सावधानी परम आवश्यक है पर यदि कोई दुर्भाग्य की स्थिति उत्पन्न होती प्रतीत भी हो तो संयम रखें, धैर्य न टूटने दें।स्मरण रहे भय ही सबसे बड़ा जहर है। क्योंकि जहरीले सर्प सिर्फ 2 से 3 प्रतिशत ही होते हैं, जबकि इनके सापेक्ष सर्प दंश से मृत्यु दर कहीं अधिक है।इससे स्पष्ट है कि लोग जहर से कम भय से अधिक काल कवलित हो जाते हैं।इसलिए बड़ी से बड़ी विपरीत स्थिति में धैर्य पर पकड़ मजबूत बनाए रखें। यदि धैर्य टूट गया तो आप हारने से पहले ही हार जाएंगे।