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राहुल गांधी का चुनाव आयोग पर तीखा हमला: “देश के गुनहगार सुन लें- वक्त बदलेगा, सजा मिलेगी”

"राहुल गांधी का चुनाव आयोग पर हमला: 'वोट चोरी लोकतंत्र से धोखा, सजा जरूर मिलेगी'"

नई दिल्ली।कांग्रेस सांसद और लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी ने एक बार फिर चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर एक वीडियो साझा करते हुए लिखा:

> “वोट चोरी सिर्फ एक चुनावी घोटाला नहीं, ये संविधान और लोकतंत्र के साथ किया गया बड़ा धोखा है। देश के गुनहगार सुन लें- वक्त बदलेगा, सजा जरूर मिलेगी।”

 

राहुल गांधी के इस बयान को लेकर सियासी गलियारों में हलचल तेज हो गई है। उन्होंने यह टिप्पणी लोकसभा चुनाव 2024 के परिणामों और कथित अनियमितताओं पर उठ रहे सवालों की पृष्ठभूमि में की है। राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी बार-बार यह दावा करते रहे हैं कि कई सीटों पर ईवीएम, वोटों की गिनती और मतदाता सूची से संबंधित गंभीर खामियां थीं।

क्या है पूरा मामला?

राहुल गांधी का आरोप है कि:

चुनाव प्रक्रिया में बड़े पैमाने पर गड़बड़ियां हुईं।

वोट चोरी के जरिए जनादेश को बदला गया।

चुनाव आयोग ने शिकायतों को नजरअंदाज किया।

विपक्षी दलों ने चुनाव के बाद कई सीटों पर पुनर्गणना की मांग की थी, लेकिन चुनाव आयोग ने अधिकतर मामलों में इनकार किया।

कांग्रेस का लगातार दबाव

कांग्रेस पार्टी का दावा है कि:

विपक्ष के नेताओं की आवाज को दबाने की कोशिश की जा रही है।

लोकसभा चुनाव में ‘जनमत की हत्या’ हुई है।

निष्पक्ष चुनाव लोकतंत्र की बुनियाद हैं, और अगर इसमें संदेह पैदा होता है, तो पूरे प्रणाली की विश्वसनीयता पर सवाल उठता है।

राहुल गांधी ने इससे पहले भी चुनाव आयोग की भूमिका को लेकर कई बार सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने कहा था कि आयोग को स्वायत्त और पारदर्शी रूप से काम करना चाहिए, लेकिन मौजूदा समय में उसकी निष्पक्षता पर गंभीर सवाल हैं।

बीजेपी का पलटवार

भाजपा ने राहुल गांधी के आरोपों को बेबुनियाद और लोकतंत्र के अपमान के रूप में खारिज किया है। पार्टी प्रवक्ताओं ने कहा कि कांग्रेस को हार स्वीकारनी चाहिए और संवैधानिक संस्थाओं का अपमान बंद करना चाहिए।

चुनाव आयोग की प्रतिक्रिया

अब तक चुनाव आयोग की ओर से इस ताजा बयान पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन पहले के बयानों में आयोग यह स्पष्ट करता रहा है कि चुनाव पूरी पारदर्शिता और निष्पक्षता से कराए गए थे।

निष्कर्ष:

राहुल गांधी का यह बयान आगामी राजनीतिक संघर्ष की दिशा को दर्शाता है। विपक्ष चुनाव आयोग पर दबाव बनाकर चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता और जवाबदेही की मांग कर रहा है। वहीं सत्तारूढ़ भाजपा इसे हताशा की राजनीति बता रही है।

देश की राजनीति में आने वाले समय में यह मुद्दा और भी गरमाने की संभावना है।

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