SITAPUR

ज़िम्मेदारों के लिए फर्जी फोटो बने कमाई का ज़रिया

मनरेगा योजना में फर्जीवाडा कर सरकारी धन का बंदरबांट कर लगा रहे पलीता

प्रधान, सचिव, रोजगार सेवक एवं तकनीकी सहायक की मिलीभगत से फलफूल रहा भ्रष्टाचार का खेल

निर्वाण टाइम्स
सीतापुर(ब्यूरो)। महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना केन्द्र सरकार की महात्वाकांक्षी योजनाओं में से एक योजना हैं जिसमें मजदूरों को रोजगार देने की गारंटी की योजना हैं, लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही और कमीशनखोरी के वजह से यह योजना भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ चुकी है। जिम्मेदारों की लापरवाही और भ्रष्टाचार के कारण न तो मजदूरों को रोजगार मिल रहा और न ही सरकार की मंशा धरातल पर उतर पा रही है कारणवश बिना काम कराए ही सरकार को चूना लगाकर लाखों रूपये का भुगतान हो रहा हैं। फलस्वरूप विकास खण्ड में कार्यरत जिम्मेदारों की मिली भगत से सरकारी धन का जमकर बंदर बाट हो रहा हैं।
ताजा उदाहरण विकास खण्ड सकरन की ग्राम पंचायत कुचलैया का है। यहाँ चार परियोजनाओं पर 14 सेट में मस्टर रोल जारी किया गया है। पहला रामू के मकान से फत्तेलाल के मकान तक इंटरलॉकिंग निर्माण कार्य। वही दूसरी परियोजना प्रसादी के घर से मैन रोड तक इंटर लॉकिंग निर्माण कार्य, एवं तीसरी परियोजना शैलेन्द्र के खेत से राम नरेश के खेत तक नाला सफाई एवं बंधा निर्माण कार्य, और चौथी परियोजना रामवती के खेत से शैलेन्द्र के खेत तक बंधा निर्माण कार्य हो रहा इन चारो परियोजनाओं में मनरेगा पोर्टल पर तक़रीबन 122 मज़दूरों की फर्जी हाज़री लगाई जा रही। लेकिन मौके पर कोई कार्य नही हो रहा, जबकि मस्टर रोल में प्रतिदिन एक सैकड़ा के आसपास मजदूरों की हाजिरी लगाई जा रही है। 26 तथा 27 जून को भी यहाँ के जिम्मेदारों ने फर्जी फोटो अपलोड कर मनरेगा योजना में धांधली को अंजाम देकर बड़ी ही सफाई से सरकार की आँखों में धूल झोंककर मनरेगा योजना को अपनी कमाई का जरिया बनाते हुए ग्राम प्रधान, ग्राम सचिव, पंचायत सहायक द्वारा बिना काम कराए ही मजदूरों की फर्जी हाजिरी लगा लाखों का भुगतान कराकर अपनी तिजोरियां भरी जा रही हैं।
फलस्वरूप कागजों पर तो सैकड़ों मजदूरों को काम दिया जा रहा है लेकिन जमीनी हकीकत इससे परे है जिसके चलते जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ न मिल पाने के कारण आम आदमी का भरोसा सरकार से उठता जा रहा है। इस भ्रष्टाचार के ही कारण वास्तविक मजदूरों को उनके गाँव में ही काम नही मिल पाता लेकिन जिम्मेदार कागजों पर मजदूरों को काम देकर उनकी फर्जी हाजरी लगाकर सरकार को धोखा देते रहते हैं | इतना ही नहीं परियोजना पर कार्यरत टीए द्वारा बिना स्थलीय निरिक्षण किये ही अपने आफिस में बैठकर इन परियोजनाओं की एमबी कर फाइलों को भुगतान के लिए भेज दिया जाता है। फाइलों में बने इस्टीमेट के अनुसार वहां कार्य नहीं होता और इस तरह सरकारी धन का जमकर बंदरबांट हो रहा है। जिससे काफी हद तक सरकार की जीरो टालरेंस वाली निति को ये जिम्मेदार लाल आँख दिखाकर सरकार की साख पर बट्टा लगाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे।

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