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योगी के 2.0 टारगेट बैलेंस क्राइम को लगाम कैसे लगायेगी उत्तर प्रदेश पुलिस

पहले अपराध व अपराधी सामने थे अब अपराध करने का तरीका मनोवृति बदल गई
गोरखपुर(विनय तिवारी)।इसमे कोई दो राय नहीं कि वर्तमान समय मे उत्तर प्रदेश में क्राइम अपने न्यूनतम स्तर पर है पर यह कह देना की क्राइम खत्म हो गया यह पूर्ण रूप से सत्य नही।पहले के दशक में गैंगवार जो होते थे वह आमने सामने दो गुटों में होते थे जिसमें पुलिस प्रशासन को असानी होती थी अपराधियो को पकड़ने में क्युकी मामला कभी शाही बनाम शूक्ला गट का तो कभी सिंह बनाम तिवारी गैंग का होता था।उस दशक मे तब ये होता था कि अधिकारी खुद को उतने सहज महसूस नही करते थे अपराधियो को पकड़ने में क्युकी उन पर ऊपरी राजनैतिक प्रेशर बना रहता था। मुख्य अभियुक्तों को गिरफ्तार करते हुए पुलिस उनके गुर्गों की तलाश मीडिया में दिखाती थी और मुख्य अपराधी जेल में आराम तलब,रंगीन जीवन व्यतीत करते थे।घर और जेल में उस दशक में कोई फर्क नहीं था बस अपराधी की कैटगरी भी देखी जाती थी ,बडे अपराधियो के लिए जेल किसी फाइव स्टार होटल से कम नहीं होता था बस पैसे की छिड़काव सही व उचित ढंग से होनी चाहिए।पर विगत पांच वर्षों में अपराध व अपराधी जिस तरह से कुछ अंडर ग्राउंड हुए तो कुछ इनकाउंटर में ढेर, जो जेल में बन्द वह बेल पर बाहर आने से भी कतराते क्युकी उनके लिए जेल ही आज सेफ जोन बनकर उनकी सुरक्षा कर रही।जिन पर क्राइम के कई मुकदमे वर्षो से चल रहे वह कोर्ट कचहरी में अधिवक्ताओ के टेबल की शोभा बढ़ाते हुए देखे जा रहे कि जल्द उनका मामला खत्म हो और वह सीएम और पुलिस प्रशासन की नजरों से बचते हुए एक आम जीवन व्यतीत करे।
शासन प्रशासन का डर अपराधियो पर पूर्ण रूप से व्याप्त हैं।
 वही दूसरी तरफ आप ध्यान दे तो …
देखा जाए तो ऐसे अपराध व अपराधियों पर योगी सरकार व पुलिस प्रशासन लगाम लगाने में ज़्यादातर सफल ही हुई हैं।पर ऐसे हो रहे क्राइम पर योगी सरकार या प्रशासन रोक लगाने में विफल साबित हो रही जहां अपराधी मनोवैज्ञानिक रूप से अपराध दूसरे ढंग से या यह कहिये की अपराध वही पर तरीका बदला हुआ जिसमें कही न कही समाज भी दोषी दिखता हुआ। पर क्या करे रात को 12 बजे किसी को गोली मार दी जाती पर अपराधी कौन पता नहीं हवा में जांच करती पुलिस “पति ने पत्नी का धारदार हथियार से गला रेता” अब रात को 1 बजे पति अपराध कर रहा तो बाहर घूमती पुलिस क्या जान रही कि अंदर या बगल मेंके मकान में क्या ही रहा।
“विदेश कमाने गए युवक की पत्नी व बहन का अपराधियो ने रेप करते हुए गला रेत कर उतारा मौत के घाट” विवेचना चलती कुछ लोगो की धड़ पकड़ होती हवा में तीर मरती पुलिस कभी कभी सटीक अपराधी तक पहुंच ही जाती और अगली हेडिंग होती”विदेश में रह रहे फ्ला की पत्नी का गाँव के ही फ्ला से वर्षो से सम्बंध था ,एक दिन रात…  और मामला किसी तरह खत्म। आइये इनसे बचे तो अभी जमीन के बंटवारे को लेकर दो पक्षों में हुआ विवाद जमकर बरसी लाठियां तीन की घटना स्थल
पर मौत बाकी गायब 112 नम्बर पर जब तक पता चलता पुलिस को तब तक अपराध हो चुके रहते और अपराधी गायब। “प्रेमिका ने प्रेमी व उसके दोस्तों संग मिलकर अपने पति की कराई हत्या”…।गाँव मे पेड़ पर झूलते मिली दो लाशें प्रेमी प्रेमिका ने लगाई फांसी ,अब फांसी लगाई या फिर रात को लटका दिए गए किसी को।नहीं पता कुछ दिनों तक ऐसे मामलों में चर्चाएं बनी रहती उसके बाद मामला भी गायब और मामले की हकीकत भी गायब किज तरह यह तो ऊपर वाला ही जाने किन पर बन जाता रहमो करम।सरकार कहती कि बहु बेटियां सुरक्षित हैं हमारे सरकार में पर रात में निकल रही उन बहु बेटियों को क्या पता कि किस नुक्कड़ या गली में नशे में धुत अपराधी पहले से घात लगाए बैठे और इतने घिनौने दुष्कर्म कर जाते की पुलिस प्रशासन को बिना परमिशन ही बीच चौराहों पर गोलियों से उड़ा देना ही बेहतर क्युकी पकड़े जाने पर कोई 16 साल का नाबालिग निकलता तो कोई  55 साल का अधेड़। न्याय न मिलने पर गोरखपुर दीवानी कचहरी में एक पिता ने अपराधी को गेट के बाहर  निकलते ही मारी गोली क्युकी उसे पता था जो न्याय उसे वर्षो से नही मिल रहा आगे मिलेगा या नहीं इसकी कोई गारंटी नहीं।देखा जाए तो मंडल या प्रदेश में वर्तमान समय मे ऐसे महीन अपराध पुलिस के लिये चुनौती बने हुए है जिनमे कितने निस्तारण् हुए और कितने फ़ाइल बन्द यह सबको पता क्युकी बहुत सी  फ़ाइल या बन्द जो जाती या बन्द करवा दी जाती।अब इन पर सरकार व पुलिस प्रशासन कैसे रोक लगाती गस्त बढ़ाती या कोई नया मुहिम अथवा दिमाग लगाती यह देखने वाली बात होगी।क्युकी यह तो मनोवृति हैं जब तक मनुष्य की नही बदलेगी तब तक ऐसे अपराधों पर लगाम लगाना बहुत टेढ़ी खीर।

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