कजरिया मामले में दोनों पक्षों की ओर से दर्ज हुई रिपोर्ट,जांच शुरू
वन विभाग ने 25 पर तो थारू जनजाति ने 4 वन अधिकारियों पर दर्ज कराया मुकदमा
धीरज गुप्ता/एस.पी.तिवारी
पलियाकलां-खीरी।दुधवा नेशनल पार्क के थारू गांव कजरिया में कल वनविभाग द्वारा थारू आदिवासी महिला के साथ हुई बलात्कार की कोशिश व मारपीट के मामले में आज सुबह संगठित आदिवासी महिलाओं के दबाव में थाना गौरीफंटा द्वारा 3 वन विभाग के अधिकारियों रेंजर बनकटी आलोक शर्मा,उपरेंज अधिकारी सुनील शर्मा, वनकर्मी नरेंद्र व एक पुलिस इंस्पेक्टर भट्ट को नामजद करते हुए आईपीसी 1860 की धारा 323, 504, 506,154, 393, 376,511, 364 और एससीएसटी एक्ट की धारा 3(2K) के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया गया है, चोटिल महिलाओं को डाक्टरी जांच के लिए जिला अस्पताल लखीमपुर के लिए रवाना भी कर दिया गया है।थारु जनजाति ग्राम कजरिया में वन भूमि की जमीन को जोतने को लेकर बनकटी के वनकर्मयों ओर कजरिया ग्राम की वनसमिति ओर लोगों के बीच हुई मारपीट में दोनो पक्षों के तरफ से गौरीफंटा कोतवाली में दी गई तहरीर पर गौरीफंटा कोतवाली पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज कर ली है। पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज कर कार्यवाई शुरू कर दी है।उधर वन विभाग की गायब राइफल भी बरामद हो गई है ।
भारत-नेपाल सीमा परस्थित थारु जनजाति गरम कजरिया में बुधवार सुबह मोहाना नदी घाट पर वन भूमि की भारतीय क्षेत्र में खाली पड़ी जमीन जोतने को लेकर थारु ग्राम कजरिया में वनसमिति के अध्यक्ष सहित अन्य लोगों ओर बनकटी वनकर्मियों के बीच झगड़ा मारपीट हो गया था।जिसमें दोनो पक्ष के लोग घायल हुये थे।जिनकी डाक्टरी जांच भी कराई गई है।वन विभाग की तरफ से दी गई तहरीर पर 25 लोगों को नामजद किया गया है तो दूसरी तरफ से बनकटी रेंजर आलोक शर्मा,सहित तीन वनकर्मी ओर गौरीफंटा पुलिस चौकी एस आई शंखधर भट्ट सहित चार लोगों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की गई है।वन विभाग की सरकारी राइफल भी बरामद हो गई है। अखिल भारतीय वन जन श्रमजीवी यूनियन के
राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य रजनीश का कहना था कि
इस वैश्विक महामारी के समय का फायदा उठा कर जिस तरह से वनविभाग देशभर में आदिवासी वनाश्रित समुदायों को अपने ज़मीन जंगल से बेदखल करने के लिए हमले कर रहा है, उससे वे ना सिर्फ वनाधिकार कानून का उलंघन कर रहा है, बल्कि राष्ट्रीय आपदा कानून के प्रावधानों की भी धज्जियां उड़ा रहा है, जबकि केंद्रीय स्तर पर माननीय प्रधानमंत्री भी लगातार देश की इस समय बिगड़ती अर्थव्यवस्था को संभालने के लिए खेती किसानी को सबसे बड़ा स्रोत मान चुके हैं। ऐसे आपत्ति काल के समय में वनविभाग द्वारा किए गए हमलों को देशद्रोह के साथ जोड़ कर मुकदमे कायम होने चाहिएं। इस मामले को साधारण ना मानते हुए इस लड़ाई को राष्ट्रीय स्तर तक सभी संबंधित आयोगों तक और सर्वोच्च न्यायालय तक ले जाकर लड़ा जाएगा।