पुराने मित्रों को “ढूंढ” निकाल रहे नेताजी! बेजोड़ “भोला” सिंह का कोई तोड़ नही

सक्रिय सामाजिक सहभागिता पर बढ़ी जनता के बीच “डिमांड”
सरलता-सज्जनता में कभी नही घुस पाया “अहंकार”
सुल्तानपुर(विनोद पाठक)। सज्जनता-सरलता की मिसाल वरिष्ठ भाजपा नेता नागेंद्र प्रताप सिंह “भोला” कायम कर रहे हैं। काफी “अंतराल” के बाद पुराने “रव” में अपनों के बीच मिलने की सक्रियता बढ़ा दी है। सक्रिय हुए भोला सिंह की समाज में बढ़ी सहभागिता पर समाज मे “डिमांड” भी बढ़ गई है। समाज मे हो रहे समाजिक कार्यों में हर कोई मुख्य अतिथि की भूमिका में रखने को आतुर है।
गौरतलब हो कि जिले के प्रतिष्ठित उद्यमी, वरिष्ठ भाजपा नेता एवं समाजसेवी नागेंद्र प्रताप सिंह “भोला” जिले और समाज में अपनी अलग पहचान रखते हैं, और पहचान बनाए भी हैं। सरलता और सज्जनता ही इनकी राजनैतिक पूंजी है। इसी “पूंजी” के दम पर जिले, प्रदेश और देश तक अपनी अलग “साख” बनाए। जीवन की सारी “शोहरत” अर्जित की, साधन संपन्न बने। लेकिन अपनी साफ-सुथरी छवि में कभी अहंकार और घमंड को घुसने नहीं दिया। क्योंकि अहंकार और घमंड “पतन” की “जननी” है। भोला सिंह ने जीवन में उतराव-चढ़ाव भी देखे। पर, चट्टान की तरह खड़े रहे, हिम्मत नही हरी। परिस्थितियों का डटकर मुकाबला किया। शुरुआती दौर वाले दिन फिर लौट के आ गए। फिर वही चार दशक पहले वाला सिलसिला भोला सिंह ने शुरू कर दिया। समाज में पहले भी मजबूत पकड़ रखते थे। गंगा-जमुनी तहजीब के “कायल” थे।आज भी उसी “ढर्रे” पर चल पड़े हैं। काफी “अंतराल” के बाद जिले के उन शुभचिंतक, मित्रगणों को ढूंढ रहे हैं और काफी हद तक ढूंढ निकाले हैं। जो उनके पुराने “साथी” रहे। उनके बीच पहुंच अनुभव को “साझा” कर साथ में खड़े होने का भरोसा भी दे रहे हैं। जिसमें हर जात,धर्म, वर्ग के लोग शामिल है। दरवाजे पर पहुंच रहे भोला सिंह का भी शुभचिंतक मित्रगण पूरा आवभगत भी कर रहे है। समाज में मिल रहे सम्मान से भोला सिंह गदगद हैं और अपनी सक्रियता भी समाज में बढ़ा दी है। भोला सिंह की बढ़ी सक्रियता और सामाजिक सहभागिता पर “डिमांड” भी बढ़ गई है। नगर से लेकर ग्रामीण अंचल तक हो रहे समाज से जुड़े लोगअधिकांश कार्यक्रमों में मुख्य अतिथि की भूमिका का मौका भी दे रहे हैं। समाज से मिल रहे सम्मान के “कायल” भोला सिंह भी हो गए हैं। समाज से मिल रहे सम्मान पर भोला सिंह लखनऊ छोड़ सुलतानपुर में डेरा डाल दिए है।
वरिष्ठ भाजपा नेता नागेंद्र प्रताप सिंह “भोला” कि समाज में बढ़ी सक्रियता पर बातचीत की गई तो उन्होंने बताया कि मातृभूमि का बड़ा महत्व होता है। मातृभूमि के लगाव ने मुझे लखनऊ से सुलतानपुर खींच लाया। यहीं जीवन के सारे “सपने” पूरे हुए। यही मातृभूमि पर सब कुछ सीखा और सब कुछ पाया। जो कुछ अधूरा भी होगा, निश्चित तौर पर ईश्वर पर भरोसा रखना चाहिए मिलेगा जरूर। राजनीति में काम करने का मौका मिला है, जितना संसाधन है, उसके मुताबिक जनता की मदद भी कर रहा हूं, आगे भी करता रहूंगा। फिलहाल भोला सिंह को ऊपर वाले ने वह सब कुछ दे रखा है। जो एक राजनैतिक व्यक्ति को चाहिए। उनका एक ही “मकसद” है समाज सेवा करने का। वह कर भी रहे हैं, खाली हाथ कोई भी पीड़ित व्यक्ति वापस नही आ सकता। जितनी “सामर्थ्य” है, समाज सेवा करने में कोई कोर कसर नही छोड़ रहे हैं।