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बभनान से हर्रैया के बीच बिना परमिट के सड़कों पर दौड़ रही हैं बसे

बस्ती(ब्यूरों)। बस्ती जिले के बभनान से हर्रैया के बीच परिवहन विभाग और आरटीओ के आंख के नीचे कई बसों में किसी के परमिट फेल तो किसी की वैधता खत्म तो कोई बिना बीमा और प्रदूषण प्रमाण पत्र के सड़कों पर धड़ल्ले से दौड़ रही हैं। बभनान से हर्रैया के बीच 25 से 30 बसे चलने वाली अनफिट या बिना परमिट के सड़कों पर दौड़ रही हैं लेकिन जिम्मेदार परिवहन विभाग और आरटीओ ऐसी बसों पर कोई कार्रवाई नहीं कर रहा जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि जिम्मेदार परिवहन विभाग और आरटीओ कार्यवाही करने में पक्षपात कर रहे हैं या कुंभकरण की नींद सो रहे हैं बिना परमिट के चल रही बसें 40 से 50 गांव के लोग कर रहे हैं जोखिम भरा सफर लेकिन ऑपरेटर ग्रामीण रुट पर सवारी वाहनों के परमिट लेने में कतई दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं ऐसे में कई बार हादसे होने के बावजूद भी अंचल के तमाम मार्ग डग्गामार वाहनों के हवाले हैं लोकल मार्गो की बात तो दूर राष्ट्रीय उच्च पथ भी बिना परमिट वाले 25 से 30 वाहन बेरोकटोक सरपट दौड़ रही हैं इन बसों से यात्रा करने वाले बीमित भी होते हैं लेकिन अगर इन बसों का ही बीमा और फिटनेस फेल हो तो क्या होगा ग्रामीण क्षेत्रों में बसे बिना परिवहन विभाग और आरटीओ के खौफ के बभनान से हर्रैया के बीच धड़ल्ले से चल रही हैं वही गिरजेश पांडे का कहना है कि ना ही गाड़ी का नंबर ना चेचिस ना फिटनेस ना टैक्स ना परमिट कुछ भी नहीं है गौर थाना, पैकोलिया थाना, हर्रैया थाना, के अंतर्गत बभनान से हर्रैया के बीच अनफिट या बिना परमिट के धड़ल्ले से सड़कों पर दौड़ रही बसें कई यात्री जान जोखिम में डालकर करते हैं सफर जहां से प्रतिदिन छात्र-छात्राएं नजदीकी कस्बे के मिडिल और हाईस्कूलों में पढऩे जाते है। आने-जाने के लिए स्कूल वैन या बस नहीं चलने से विद्यार्थियों को प्रतिदिन डग्गामार वाहन से अपनी जान हथेली पर रखकर बभनान से हर्रैया स्कूल का सफर करना पड़ता है बस सुविधा के अभाव के बीच मजबूरी में जुगाड वाहन में लटकते हुए सफर करते ग्रामीण रोज कमाई के लिए 50 हजार में बनता है जुगाड़ वाटर पंप का इंजन, लकडिय़ों के पाटे से बना चेसिस और जीप की स्टेयरिंग फिट करके लोगों के सफर और लगेज ढोने के लिए बनाए गए वाहन को ग्रामीण क्षेत्र मेंं जुगाड़ कहते हैं। इस वाहन पर मात्र 40 से 50 हजार रुपए की लागत लगाकर लोगों ने नियमित कमाई का जरिया बना रखा है। जुगाड़ वाहनों के पलटने से कई बार हादसे हो चुके हैं, लेकिन इसके बावजूद आज भी ग्रामीण रूटों पर सवारियों से ठसाठस भरकर जुगाड़ वाहन सड़क पर दौड़ रहे हैं परिवहन सुविधा से वंचित है एक लाख की आबादी दबंगों के आगे जिम्मेदार भी है नतमस्तक दबंग बस मालिकों को नहीं है प्रशासन का कोई भी डर जिम्मेदार अधिकारी की मिलीभगत से सरपट दौड़ती अनफिट बसे।

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