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नूंह हिंसा के बाद बुलडोजर एक्शन को लेकर जमीयत उलेमा ए हिंद ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया,  मुआवजे की मांग

नई दिल्ली।हरियाणा के नूह में हुई हिंसा के खिलाफ हरियाणा सरकार द्वारा उपद्रवियों के खिलाफ बुलडोजर एक्शन को लेकर जमीयत उलेमा ए हिंद ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट ने सोमवार को स्वतः संज्ञान लेते हुए बुलडोजर की कार्यवाही पर तो रोक लगा दिया था लेकिन एक दिन बाद जमियत उलेमा ए हिंन्द ने बुलडोजर कार्यवाही मे गिराए गए मकानो के लिए मुआवजे की मांग सुप्रीम कोर्ट से कर दी है।
अपनी याचिका में जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने उन लोगों के पुनर्वास के लिए निर्देश देने की मांग की है जिनके घर पिछले कुछ दिनों में हरियाणा के नूंह जिले में राज्य में सांप्रदायिक हिंसा के बाद हरियाणा प्रशासन द्वारा तोड़े  गए थे।सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अर्जी में जमीयत उलमा-ए-हिंद ने कहा है कि बुलडोजर ऑपरेशन के पीड़ितों को पुनर्वास, मुआवजा दिए जाने का सुप्रीम कोर्ट आदेश दे साथ ही इस कार्रवाई के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई का भी आदेश दिया जाए।
 सुप्रीम कोर्ट मे दाखिल अपनी याचिका में जमीयत ने  कहा है कि बुलडोजर चलाना गैरकानूनी है, चाहे बुलडोजर किसी भी धर्म के लोगों की संपत्ति पर चले। कथित आरोपियों के घरों पर बुलडोजर चलाना या सिर्फ इसलिए कि ऐसी इमारत से कथित तौर पर पथराव किया गया था, ये अदालत द्वारा दोषी साबित होने से पहले की सजा के समान है जो गैरकानूनी है।
जमीयत प्रमुख ने जारी किया बयान
सुप्रीम कोर्ट मे याचिका दाखिल करने के बाद जमीअत चीफ मौलाना अरशद मदनी ने एक प्रेस रिलीज जारी कर  कहा कि पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने जिस तरह इस मामले का स्वयं संज्ञान  लिया है हम उसकी सराहना करते हैं। लेकिन अवैध रूप से ध्वस्त किए गए लगभग साढ़े छः सौ कच्चे-पक्के मकानों के निवासियों का पुनर्वास, मुआवज़ा, ट्रांजिट शिविरों में रहने और दोषी अधिकारियों पर कार्यवाही के लिए कोई आदेश जारी नहीं किया है। जमीअत उलमा-ए-हिंद ने सुप्रीम कोर्ट से अपील की है कि वो सभी राज्यों को आदेश जारी करे कि बुल्डोज़र से अवैध विध्वंश को रोके। याचिका में ये भी दलील रखी गई है कि अवैध रूप से बने मकान को भी बिना नोटिस दिए ध्वस्त नहीं किया जा सकता। ध्वस्त करने से पहले क़ानूनी प्रक्रिया पूरी करना जरूरी किया जाए।
जमीयत की याचिका में यह भी मांग की गई है कि सुप्रीम कोर्ट ने पिछले दिनो उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, दिल्ली, गुजरात और अन्य राज्यों में बुलडोजर कार्वाई पर कडी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए रोक लगाया था लेकिन सुप्रीम कोर्ट से लिखित आदेश जारी न होने के कारण नूह जैसी घटना घटित हुई। अदालत से अनुरोध किया गया है कि बुलडोज़र मामले में लंबित  याचिकाओं पर शीघ्र सुनवाई की जाए और स्पष्ट आदेश जारी किया जाए।
हरियाणा सरकार पर जमीयत का आरोप
मौलाना मदनी के ने हरियाणा के ऑफिसर ऑन स्पेशल डयूटी जवाहर यादव के बयान का हवाला देते हुए कहा है कि जवाहर यादव ने बयान दिया था कि दंगे में लिप्त लोगों के मकानात ध्वस्त कर दिए जाएं, दंगाइयों ने ज़िला का मान-सम्मान खंडित किया है, उन्हें इसका परिणाम भुगतना पड़ेगा..  इस बात का संकेत करता है कि बुलडोज़र चलाने का उद्देश्य अवैध निर्माण नष्ट करना नहीं है बल्कि एक विशेष वर्ग के लोगों को टारगेट करना था।

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